फ्रेंडशीप डे


कभी सोंचा नहीं था कि दोस्तो के लिए भी अलग से एक दिन होगा जिसमें हम दोस्तो को याद करेंगे....समय और परिस्थिति के अनुसार लोगो के दोस्त भी बदल जाते है और बदलने भी चाहिए । बचपन का बचपना बचपन तक ही अच्छा रहता है बड़ा होने पर अगर कोई मुझे छोटु कहे वह भी क्लास में तो कितना बुरा लगता है न जब मै आठवी क्लास में था और मेरे बचपन के दोस्त नें मुझे अपने गांव बाले नाम से पुकारा मैं गुस्सा गया परअब तक उस पे कभी गुस्सा नहीं हुआ करता था खैर यह मामला ही ऐसा था। मैट्रिक के बाद उन सभी दोस्तो का साथ छुट गया जिनके साथ हमने अपना बचपन बिताया था जैसे जैसे समय आगे बढता गया नये नये जगह मिलते गये नये नये लगो का साथ मिलता गया पर आज भी वो प्यार कहां मिल पाया जो कभी बचपन की उन गलियों मे मिला करता था। स्कूल के दिनो में लड़कियों को छेड़ना हम दोस्तो का बहुत की आसान काम था अपने ही ग्रुप में उसका नाम रख देना फिर जब वो दिख जाए तो उसका रखा नाम ले लेना यह एक दम से नया तरीका था हमलोगों के मस्ती करने का वो भी नहीं कुछ बोलती थी उसे भी पता था कि हमें ही ये सब कह रहे है फिर बाद में वो बुलाती और कहती क्या कह रहेथे फिर धिरे धिरे हम लड़के लड़कियों का एक ग्रुप बन गया और हम फिर लोग उसी ग्रुप के साथ अपने मैट्रिक तक की पढाई लिखाई हुई मैट्रिक पास होने के बाद हम सब एक दुसरे से अलग हो गए अब बहुतों को सरकारी नौकरी हो गई तो कई लोग शादी कर लिए है ये सोशल साईट है जो हमें एक दुसरे से मिलाता रहता है नहीं तो हम फोन और इस भाग दौड़ की दुनिया में कहां किसी से मिल पाते बड़ा कठिन होता है अब एक दुसरे से मिल पाना जब हम घर आते है तो वो नहीं जब वो घर आते है तो हम नहीं। ये सब मित्र भावनाओं के आधार और बचपन की गादों के साथ बड़े हुए थे और एक लंबे समय तक साथ में रहे जैसे जैसे हम बड़े होते गए हमारे मित्र भी उसी हिसाब से बने बहुत दिनो तक उनका साथ नहीं रहा जैसे जैसे अपने जीवन की रेखा को बदलते गए हमारे मित्र उसी मोड़ से बदलते चले गए आज मै जहां हूं यहां भी हमारे साथ बहुत सारे दोस्त बने है बहुत सारे दोस्त आगे भी बनेंगे पर यहां ये दोस्त और मेरे बचपन के दोस्त इन दोनों में बहुत समानता है ये भी उसी भाव के साथ जुड़े है जैसे वो जुड़े थे यहां भी हमारे साथ कुछ लड़कियों का साथ है अ्चछी दोस्त बनी है अब अपने निजी जीवन में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया हूं इसीलिए सभी दोस्तो को याद नहीं कर पाता हूं शायद इसीलिए आज के दिन को फेंडशीप डे केरुप में मनाने लेगे है।

ratnasen

मै भारत देश का एक जिम्मेदार नागरिक हूं. तमाम जिम्मेदारी को समझने की कोशिश कर रहा हूं. देश की सेवा के लिए पहले परिवार फिर समाज की सेवा करना चाहता हूं. इसी कड़ी में लगातार आगे बढ़ रहा हूं. बुद्ध को अपना आदर्श मानता हूं

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