बिहार में पल'टी मार कौन रहा है नीतीश कुमार या फिर BJP और RJD ?

बिहार की सियासत में इन दिनों सबसे बड़ा बवाल इस बात को लेकर है कि आखिर नीतीश कुमार इतना पलटी मार क्यों रहे हैं? उन्हें पलटी मारने की इतनी जरूरत क्यों पड़ रही है. क्या नीतीश कुमार भी केंद्र सरकार से डर गई है. न जाने बिहार में कितनी थ्योरी चल रही है. वैसे भी कहा जाता है कि बिहार में बच्चा बच्चा बिहार की सियासत पर बात कर सकता है वह भी घंटों अपने तर्क के साथ. इसीलिए कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता बिहार से होकर जाता है. बिहार जिधर जाता है दिल्ली उधर हो जाती है. लोकसभा चुनाव में बिहार के 40 सीटों का बड़ा योगदान है. खैर हम इस विषय पर फिर कभी बात करेंगे पहले बात कर लेते हैं नई सरकार को लेकर. 2020  विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने उसके बाद उन्होंने पाला बदल लिया और राजद के साथ चले गए उसके बाद फिर से राजद से पाला बदल लिया और अब बीजेपी के साथ मिलकर सत्ता के साझेदार बन गए. इस पाला बदलने में एक बात कॉमन था नीतीश कुमार अभी भी बिहार के मुखिया हैं और बदल रहा है तो सिर्फ विपक्ष का नाम. यानी कि कभी राजद तो कभी बीजेपी लेकिन सत्ता में है तो सिर्फ जदयू और नीतीश कुमार. ऐसे में क्या नीतीश कुमार पलटी मार कहना कितना सही है. 

क्योंकि जब आप जदयू के नेताओं से बात करेंगे तो वो एक लाइन में इसका जवाब देते हैं हम जहां थे वहां आज भी हैं बदल रहे हैं वो लोग जो कभी इधर जाते हैं कभी उधर जाते हैं. ऐेस में क्या नीतीश कुमार इतने ताकतवर हैं कि वे अपने दम पर बिहार के इन दोनों शक्तिशाली पार्टी को नचा रहे हैं. नीतीश कुमार बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी हैं लेकिन उसके बाद भी बिहार के दोनों बड़ी पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. अगर आप ठंढ़े दिमाग से सोचेंगे तो आपको पता चलेगा कि नीतीश कुमार के सामने खड़ा करने के लिए दोनों ही पार्टियों के बीच में कोई नेता नहीं है जो यह कह सके कि हम नीतीश कुमार के खिलाफ हैं यानी कि उस कद का कोई भी नेता अभी नहीं है. नीतीश कुमार के सहयोगी हुआ करते थे लालू यादव, सुशील कुमार मोदी, रामविलास पासवान. रामविलास पासवान अब इस दुनिया में नहीं रहे. लालू यादव बीमार हैं. सुशील मोदी साइड हो गए हैं. ऐसे में राजद और बीजेपी को सोचना होगा कि हमें नीतीश को पिछे करने के लिए नीतीश की तरह एक नेता खड़ा करना होगा.

और, एक अहम बात. इन दोनों ही पार्टियों में इतनी ताकत नहीं है कि नीतीश का विरोध कर सके. हां भले ही विपक्ष में खड़े होकर नीतीश को आप पांच बात कह दिजिए लेकिन आपमें इतनी हिम्मत नहीं है कि आप उनके साथ जाने से मना कर सकते हैं. इसीलिए कल अगर नीतीश कुमार अकेले चुनाव लड़ते हैं तो वो आप दोनों को एक लाइन में कह सकते हैं कि हमने इन दोनों पार्टियों को जिंदा किया. खासकर राजद को. लालू यादव के जेल जाने के बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को राजद में एक जान फुंक दिया है. ऐसे में सोचने की जरूरत है विचार करने की जरूरत है. इन दोनों राजद और बीजेपी के साथ ही जदयू को भी विचार करने की जरूरत है कि आपका मुख्यमंत्री होने के बाद भी आप तीसरे नंबर की पार्टी कैसे बन गए हैं. इसीलिए बिहार की सियासत में यह दौर एक संक्रमण का दौर चल रहा है जिसमें नीतीश कुमार जब सत्ता से बाहर होंगे तो कौन आगे की जिम्मेदारी संभालेगा. कौन होगा जो बिहार को आगे ले जाएगा. 

ratnasen

मै भारत देश का एक जिम्मेदार नागरिक हूं. तमाम जिम्मेदारी को समझने की कोशिश कर रहा हूं. देश की सेवा के लिए पहले परिवार फिर समाज की सेवा करना चाहता हूं. इसी कड़ी में लगातार आगे बढ़ रहा हूं. बुद्ध को अपना आदर्श मानता हूं

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