पर्यावरण दिवस (बस तारीख तक ही सीमित है)

 

भारत ही नहीं पूरा देश पर्यावरण को लेकर आज सजग है. देश के जागरुक नेता से लेकर समझदार मीडिया तक. अब तो लोग अपनी बात रखने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करने लगे हैं जिससे की इस

 बात बात का भान होता है कि उनके मन में किस तरह का विचार चल रहा है. ऐसे में आज पर्यावरण दिवस है. आज के दिन लोग सजगता के साथ अपने आप को पर्यावरण के प्रति दे रहे हैं. मीडिया में तो लंबे लंबे लेख लिखे जा रहे हैं. क्या मीडिया में लेख लिख देने से और सोशल मीडिया पर उन तस्वीरों को साझा कर देने से हम पर्यावरण दिवस को सफल भले ही बना सकते हैं लेकिन पर्यावरण के प्रति आप कितने जिम्मेवार हैं यह तब ही तय हो पाएगा जब आप अपनी सतर्कता प्रति दिन उसके साथ दिखाएंगे. हमारा आपका क्रमिक विकास हो रहा है. ताकि हम अपनी समस्याओं को दूर करते हैं साथ ही उसकी जरुरू चीजों को हम रोज देते हैं जिससे की हमारा विकास हो सके. ठीक उसी तरह से हमें प्रतिदिन पर्यावरण को लेकर सोचने की जरुरत है. देश में बढ़ती गरमी इसका ही परिणाम है कि हमने अपने पर्यावरण को उस तरह का माहौल नहीं दिया है. हमने उसका समय पर इलाज नहीं किया. इलाज के नाम पर हम आज पेड़ लगाने की बात कहते हैं. लेकिन दूसरी तरफ जंगलों को कितनी तेजी से काटा जा रहा है कभी हमने उस ओर ध्यान दिया है. 

छत्तीसगढ़ का वह इलाजा जहां जंगल कटाई को लेकर पूरा इलाका आंदोलन रत है. सरकार से सीधी लड़ाई के मुड में हैं. जंगल में पुलिस जहां नक्सियों के लड़ाई के लिए गए थे अब वे आम लोगों से लड़ रहे हैं. आदिवासी समाज आज अपना घऱ बचा रहा है. हम हैं कि उसके घर को विनाश करने पर तुले हैं और अपना घऱ बनाना चाहते हैं. ऐसे में हमें अपने पर्यावरण के प्रति ठहर कर सोचने की जरुरत है. आरम से ठंढ़े दिमाग से विचार करने की जरुरत है. बिहार में गर्मी का हालत यह है कि लोग घऱ से बाहर निकलने से कतराते हैं. फिर भी हम पर्यावरण के प्रति सचेत नहीं हो पा रहे हैं. 


हमको आपको अपने लाइफ स्टाइल को चेंज करना होगा. उसमें बदलाव लाना होगा. हमको अपने कार्यशैली के बारे में सोचने की जरुरत है.हम जो कार्य कर रहे हैं उससे हमारे पर्यावरण पर कितना प्रभाव पड़ रहा है. मानलिया जाए अगर हम एसी कमरे में रह रहे हैं तो उससे कितना CFC निकल रहा है इस बात की जानकारी आपको होनी चाहिए उससे होने वाले नफा नुकासन के बारे में आपको समझ होनी चाहिए. मान लिया जाए आप डीजल पेट्रोल की गाड़ी से चलते हैं तो इससे पर्यावरण को कितना नफा नुकसान है साथ ही अब जमाना आ गया है कि सौर्य सिस्टम की तरफ जाने का तो हमें इस ओर भी विचार करने की जरुरत है कि क्या हम सौर्य ऊर्जा या फिर वैक्लिक ऊर्जा की तरफ सोच सकते हैं क्या? क्योंकि हमारे यहां एक कहावत हैं खुद बदलेंगे युग बदलेगा. ऐसे में पर्यावरण को शुद्ध रखना है तो आम लोगों को पहले जागरुक होना होगा. सरकारे तो हर चीज में अपना नफा नुकसान सोचती है. ऐसे में राजनीति पार्टियों से यह उम्मीद पाल लेना की वह एक अच्छी पॉलिसी लाएगी जिससे पर्यावरण कम होगा यह हमारे सामने एक भ्रम है जिससे हमें दूर होना होगा और खुद ही पर्यावरण को लेकर सजग होना होगा. तब जाकर पर्यावरण, वातावरण को हम शुद्ध कर सकते हैं. 

ratnasen

मै भारत देश का एक जिम्मेदार नागरिक हूं. तमाम जिम्मेदारी को समझने की कोशिश कर रहा हूं. देश की सेवा के लिए पहले परिवार फिर समाज की सेवा करना चाहता हूं. इसी कड़ी में लगातार आगे बढ़ रहा हूं. बुद्ध को अपना आदर्श मानता हूं

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने