रोहित वेमुला-





रोहित वेमुला-
यह नाम पिछले कुछ दिनो से मीडिया में बने रहने बाले हर व्यक्ति के मन में दौड़ रहा होगा वो बार बार सोंच रहा होगा की ये कौन सी बला है जो पिछले पांच दिनो से हमें सुनाया जा रहा है भारतीय मीडिया पर अब आम जनता को बहुत भरोसा नहीं रह गया है वो अब ये नहीं देखती है कि चैनलों पर क्या दिखाया जा रहा है क्या दिखाया जा रहा है से मेरा मतलब है कि क्या मुद्दा है जिस पर अभी बहस हो रहा है वो तो बस यहीं देखना चाहेत है कि दिन भर में देश में क्या हुआ वह भी बस एक सरसरी निगाह में...सभी चैनलों नें उनके लिए फटाफट खबरें ला दी है ताकि आप आसानी से अपने ऑफिस जा सके और यह जान सके की आज देश में क्या हो रहा है या क्या होने बाला है....यही वह कारण है जो रोहित बेमुला की आत्महत्या को लेकर आम जनता के बीच एक इस तरह कि राय बनी है अगर हम गौर से देखे इस मुद्दे को तो हम पाते है कि यह एक विचार धारा की लड़ाई है जिसमें दो विचार धारा एक दुसरे को ऊंचा दिखाना चाह रहे है.....कि हमने जो किया वो अच्छा किया है और कर रहे है वह भी अचछा कर रहे है...यह वैचारिकी लड़ाई एक दुसरे कि कहां तक जायज है यह तो शोध का विषय है पर इस तरह के वैचारिकी आंदोलन ने हमारे देश समाज को दो फांड़े मां बांट कर रख दिया है...आज समाज अपने आप को उपेक्षित महसुस कर रहा है...कोई ऊंची जाति का युवक अगर है तो वह इस समय के परिस्थिति के हिसाव से लगता है कि हम कहां आ गए है....लोग हमें सवर्ण कह कर कहते है कि यह तो वह जाती है....अगर हम पिछड़े और अति पिछड़े कि बात करें तो वो कहते है कि हमें तब भी सताया गया था और आज भी सताया जा रहा है....अब हम कुछ नहीं बरदास्त करेंगे....इस तरह से आज हमारा समाज दो भागों में बंट गया है....मै जिस भी जाती का हूं आज हमारे कुछ चाहने बाले दोस्त आए और कह रहे थे कि हमें अब एक जूट होना है...पता नहीं ये एक जुटता कितना हमें अपने समाज के साथ रखेगी या समाज से हमें दूर कर देगी...वो कौन सी ऐसी चीज है जो हमें एक दूसरे से दूर कर रही है हम एक अच्छे इंसान क्यो नहीं बन पा रहे है....हम क्यो नहीं अपने आप को जाती,धर्म से ऊपर उठ कर बात कर रहे है....आज हमें अपने देश को बेरोजगारी भूखमरी अशिक्षा जैसे राक्षस से लड़ने कि जरुरत है वैसे में हम आज जाति और धर्म को लेकर बैठ गए है हमें अब अपने देश और समाज के लिए जीना होगा हमें अपने स्वय से ऊपर उठ कर काम करना होगा नहीं तो हम फिर किसी न किसी विचार धारा के गुलाम होकर फिर वही पुरानी स्थिति में होंगे.....

ratnasen

मै भारत देश का एक जिम्मेदार नागरिक हूं. तमाम जिम्मेदारी को समझने की कोशिश कर रहा हूं. देश की सेवा के लिए पहले परिवार फिर समाज की सेवा करना चाहता हूं. इसी कड़ी में लगातार आगे बढ़ रहा हूं. बुद्ध को अपना आदर्श मानता हूं

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